11 सितंबर 2012

राजद्रोह बनाम राष्ट्रद्रोह

संयोग की बात है कि आज असीम त्रिवेदी नामक कार्टूनिस्‍ट को गिरफ्तार किये जाने की खबर मैंने पढ़ी है और आज से मैंने समसामयिक घटनाक्रम पर लिखने का मन बनाया। जब शुरूआत करनी ही थी तो क्‍यों न इसी विषय से की जाय। खैर हम बात कर रहे थे राजद्रोह बनाम राष्‍ट्रद्रोह की।

असीम त्रिवेदी द्वारा बनाया गया कार्टून यदि वही है, जो कि मैंने जाना है, तो मुझे हैरानी है कि इस पर आज (अब) कार्यवाही क्यों की गई ? यहां मेरे प्रश्‍न का यह अर्थ कतई न समझा जावे कि मैं इस गिरफ्तारी का समर्थन कर रहा हूँ। जहां तक मेरी याददाश्त है, या तो यही या फिर इससे मिलता जुलता कार्टून मैं पहले भी देख चुका हूँ (फेसबुक पर)।

इसमें न तो कोई हैरानी की बात है, न ही नाउम्मीदी की, क्योंकि सदियों से ऐसा होता रहा है, राजद्रोह को राष्ट्रद्रोह का नाम दिया जाता रहा है।

यहां मैं श्री असीम त्रिवेदी जी के समर्थकों से केवल यह कहना चाहता हूँ कि भई आपको नहीं पता कि उन्होंने कितना बड़ा अपराध किया है। इस देश में गोली चलाना, बम बनाना, बम चलाना, हत्या, भ्रष्ट्राचार, बलात्कार इत्यादि से भी बड़ा अपराध है- जगाना। जब-जब भी किसी ने यह करने का प्रयास किया, उसे राजद्रोह मानकर राष्ट्रद्रोही करार दिया जाता रहा है। ऐसा ही इस बार भी हुआ तो हैरानी की क्या बात ?

मैं अक्सर यह कहता रहा हूँ, आज फिर कहना चाहता हूँ, कि सच बोलने की हिम्मत तो बहुत लोग कर सकते हैं, लेकिन सच को पचाने की, उसे स्वीकार करने की हिम्मत कितने लोगों में है?